Reborn to burn again
मुंबई रात 8 बजे
एक घना जंगल जहा दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। उसी जंगल के बीच बनी एक पुरानी हवेली जिसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी । उसकी पुरानी दीवारों से चुना झड़ रहा था और धूल मिट्टी की एक मोटी लेयर उसकी दीवारों पर जमी हुई थी जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वो हवेली सालों से बंद है । उसमें कोई नहीं रहता है ।
तभी उस हवेली के अंदर से किसी की दिल दहला देने वाली चीख दीवारों को चीरते हुए उस सुनसान जगह गूंज उठी ।
वो चीख इतनी भयानक थी जिसे सुनकर एक पल के लिए किसी की भी रूह कांप जाए ।
हवेली के अंदर हॉल में सारा समान इधर उधर बिखरा पड़ा था ओर फर्श पर कई जगह खून के धब्बे गिरे पड़े थे ।
वही सीढ़ियों के पास एक लड़की अधमरी हालत में पड़ी थी ।उसके सर से खून रिस रिसते हुए फर्श पर गिर रहा था जिस वजह से खून की पतली सी परत फर्श पर बह रही थी। उस लड़की के शरीर पर जगह जगह चोटों के निशान थे जो कई ताजा थे और कई पुराने लेकिन इन सबके बावजूद भी उसका चेहरा बेहद खूबसूरत था । उसकी लोवर बॉडी से बेहतांशा खून बह रहा था।
तभी उसके कानो में किसी की आवाज पड़ी ," चू चू मेरी प्यारी बहना तुझे इस कंडीशन में देखकर सच में मेरा दिल दर्द से फट रहा है। मैं ऐसा कुछ करना नहीं चाहती थी लेकिन तुमने मुझे मजबूर किया । यू नो व्हाट तुझे वापस रायचंद फैमिली में लौटना ही नहीं चाहिए था ।अगर तू वापस नहीं आती तो आज तेरी ये हालत नहीं होती। बेचारी क्या से क्या हो गई ।"
इस आवाज को सुनकर फर्श पर पड़ी लड़की जिसकी age 19 या 20 साल होगी ,उसने हल्की सी आँखें खोलकर अपने सामने देखा जहा एक लड़की जिसकी हाइट 5 फुट 3 इंच थी । शॉर्ट ड्रेस पहने वो बड़ी स्टाइल के साथ ,चेहरे पर जहरीली मुस्कान लिए अपने सामने पड़ी सौतेली बहन को देख रही थी ।
कहने को फर्श पर पड़ी लड़की रायचंद फैमिली की बड़ी बेटी थी लेकिन सिर्फ दुनिया की नजर में जबकि असल में रायचंद फैमिली में उसके दादा दादी के अलावा कोई पसंद नहीं करता था ।
अद्विका एक सिंपल सी मासूम लड़की थी जिसे सिर्फ अपनों का प्यार चाहिए था लेकिन इस अपनेपन की ख्वाहिश रखना ही आज उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती बन गया ।
अद्विका आंखों में दर्द और चेहरे पर तकलीफ लिए अपनी छोटी बहन को देख रही थी । वो रुंधे गले से बोली ," रूही तुम क्यों कर रही हो ये सब ? तुम्हारे पास ऑलरेडी सबकुछ तो है फिर मुझे मारकर तुम्हे क्या मिलेगा ? मॉम , डैड ,भाई ,चाचा ,चाची सब तो तुम्हे प्यार करते है फिर क्या चाहिए तुम्हे ?"
ये सुनकर रूही ने गुस्से में कहा ," हा वो सबकुछ मेरा था लेकिन तुम्हारे आने के बाद मेरा सबकुछ बट गया । तुम्हारी ये खूबसूरती जो हमेशा मुझे तुम्हारे सामने फीका दिखाती है । तुम्हारा बड़ा होने का हक जो पूरी दुनिया के सामने मुझे ऊपर नहीं उठने दे रहा है। बेशक घर में कोई भी तुम्हे पसंद नहीं करता है लेकिन तुम्हारे वो बुड्ढा दादा ओर दादी के होते हुए तुम्हारे हिस्से की प्रॉपर्टी मेरे नाम नहीं हो सकती है और सबसे बड़ी चीज तुम्हारी वो फार्मा कंपनी जिसे रणविजय रायचंद ने तुम्हारे नाम कर दिया है , उस पर सिर्फ मेरा हक था लेकिन कोई बात नहीं तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारी वो कंपनी मेरे नाम हो जाएगी और वैसे भी तुम पेसो का क्या करोगी ? तुम्हारे पेसो पर तो वैसे भी मैं ही ऐश करती हु ओर तुम्हारे मरने के बाद भी सबकुछ मेरा ही होने वाला है ।" बोलकर वो पागलों की तरह हसने लगी ।
उसकी बाते सुनकर अद्विका की आंखों से आंसू गिरने लगे ।
वो कितनी बेवकूफ थी जिसने रूही जैसी मतलबी लड़की को अपनी बहन से भी बढ़कर माना ।उसके नाम पर अपनी हर एक चीज कर दी। अद्विका टैलेंड बिजनेस माइंडेड लड़की थी। रणविजय रायचंद ने अद्विका के नाम अपनी एक कंपनी की थी जिसे अद्विका ने कुछ ही महीनों में सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया ।
उसकी तरक्की देखकर जहां हर कोई हैरान था वहीं रूही ओर उसकी मॉम कनिका रायचंद के दिलों में उसके लिए नफरत ओर भी ज्यादा बढ़ गई ।
अद्विका की मॉम जब वो चार साल की थी तभी गुजर गई थी और उसकी वजह थे अद्विका के डैड ।
लेकिन फिर भी अद्विका हमेशा फैमिली का प्यार पाना चाहती थी। उसे लगता था कि एक ना एक दिन सब उसे एक्सेप्ट कर ही लेंगे और रूही की तरह ही उसके मॉम,डैड भाई ओर अंकल आंटी सब उससे प्यार करेंगी लेकिन उसे नहीं पता था कि उसके ये प्यार पाने की इच्छा उसकी मौत की वजह बन जाएगी ।
अद्विका की 18 साल की age में ही शादी हो चुकी थी और वो भी एशिया के नंबर वन बिजनेस मेन प्रखर ग्रोवर के साथ ।
अद्विका प्रखर को पहली ही नजर में पसंद आ गई थी और वो उससे शादी करना चाहता था लेकिन रायचंद फैमिली प्रखर की शादी रूही से करवानी चाहती थी ।
लेकिन प्रखर के सामने किसी की नहीं चलती थी इसलिए रायचंद फैमिली के पास अद्विका की शादी प्रखर से करने के अलावा ओर कोई ऑप्शन नहीं था ।
इसी वजह से रूही ओर कनिका की नफरत अद्विका के लिए ओर भी ज्यादा बढ़ गई थी ।
अद्विका भी प्रखर के साथ खुश थी लेकिन उसकी ये खुशी ज्यादा नहीं टिक पाई । प्रखर ने उसका बाहर जाना बंद कर दिया था । अद्विका इसमें भी खुश थी उसे लगता था कि प्रखर उससे प्यार करता है और वो उसके लिए बहुत ज्यादा पजेसिव है इसलिए उसे घर से बाहर नहीं जाने देता है ।
धीरे धीरे समय बीतता गया ओर अब प्रखर बहुत कम घर आता है और घर आता भी था तो सिर्फ अपनी बॉडी नीड्स को पूरा करने के लिए ।
वो अद्विका के साथ फिजिकल होता था ओर उसके बाद वापस चला जाता था। एक दिन अद्विका को पता चला कि वो प्रेगनेट है और ये न्यूज सुनकर वो बहुत ज्यादा खुश हो गई ।वो अपनी प्रेग्नेंसी की न्यूज जल्द से जल्द प्रखर को सुनाना चाहती थी ।उसने प्रखर को कॉल किए थे लेकिन उसने एक बार भी अद्विका का कॉल पिक नहीं किया । वो घर पर रहकर ही प्रखर के आने का वेट करती थी और इसी बीच अद्विका को एक दिन रायचंद फैमिली से कॉल आया कि रणविजय जी की तबियत खराब है और वो उससे मिलना चाहते है ।
ये न्यूज सुनकर अद्विका रणविजय से मिलने रायचंद मेंशन चली गई ओर वही रूही को अद्विका की प्रेग्नेंसी की बात पता चली जिसे सुनकर वो गुस्से से पागल हो गई ओर इसी पागलपन के चलते उसने अद्विका को पिछले दस दिनों से इस हवेली में कैद करके रखा हुआ था ।
रूही ने इन दस दिनों में अद्विका को इतना टॉर्चर किया था कि उसका मिसकैरेज हो गया । अद्विका अब पूरी तरह से टूट गई थी ।
रूही चलते हुए अद्विका के पास आई ओर उसके पेट पर जोर से लात मारते हुए बोली ," यू नो व्हाट प्यारी दीदी तुम्हारे आने से पहले मैं पूरी दुनिया के सामने रायचंद फैमिली की शहजादी थी लेकिन तुम्हारे आने के बाद मेरा रुतबा कम हो गया । तुमने मुझसे मेरा प्रखर छीन लिया ओर ये बच्चा तुम्हारे पेट में नहीं मेरे पेट में होना चाहिए था लेकिन कोई बात नहीं अब तुम्हारे साथ तुम्हारे ये बच्चा भी मरेगा ओर इसके बाद प्रखर हमेशा के लिए मेरा हो जाएगा । वैसे भी वो तुम्हे पसंद नहीं करता है ।उसे सिर्फ तुम्हारे इस बदन से प्यार था इसलिए ही तो देखो पिछले दस दिनों से तुम गायब हो फिर भी उसने तुम्हे ढूंढने की कोशिश नहीं की ।" बोलकर वो फिर से हसने लगी ।
वही अद्विका दर्द में तड़प रही थी ।उसे अपने पेट में असहनीय दर्द हो रहा था। इस वक्त उसे खुद पर ही गुस्सा आ रहा था कि उसने एक ऐसे इंसान से प्यार किया जिसे उसकी जरा सी भी परवाह नहीं है।
अब अद्विका की आंखों में गुस्सा ओर बेदर्दी रह गई थी ।
उसने ऐसे लोगों को अपना माना जो कभी अपने थे ही नहीं।
तभी रूही ने अपने आदमियों की तरफ देखा ओर मुस्कुराते हुए बोली ," इसे ठिकाने लगा देना ओर अगर इसके साथ एंजॉय करना है तो तुम सबको फूल परमिशन है । वैसे भी ये जवाब है ,खूबसूरत है । तुम सब अच्छे से सेटिस्फाई होंगे ।" बोलकर उसने एक नजर अद्विका को देखा ओर फिर हवेली से बाहर निकल गई ।
तभी रूही डोर के पास आकर रूकी और सर घुमा अपने आदमियों की तरफ देखकर फिर से बोली ," मजे करने के बाद इस पूरी हवेली को जला देना । अपने नाना की हवेली में जलकर उसकी आत्मा को शांति मिल जाएगी ।" बोलकर वो हसने लगी और हस्ते हुए वहां से निकल गई ।
रूही के जाने के बाद उसके आदमी हवस भरी नजरो से अद्विका को ऊपर से नीचे तक देख रहे थे। उसके खूबसूरत जिस्म को देखकर उनके अंदर का जानवर जाग गया ।
वो सब अद्विका की तरफ बढ़ने लगे ।
अद्विका डरी सहमी नजरो से उन सबको देख रही थी ।वो उनके सामने गिड़गिड़ाए हुए बोली ," मेरे पास मत आना । प्लीज मुझे छोड़ दो ।तुम सब मेरे पति को नहीं जानते हो ।अगर उन्हें पता चला तो वो तुम सबको जिंदा नहीं छोड़ेंगे ।"
कहते हुए वो पीछे कि तरफ सरकने लगी ।
तभी एक आदमी उसके पास आया ओर उसके साड़ी के पल्लू को पकड़ते हुए हंसकर बोला ," तेरा पति हमे कुछ नहीं करेगा ।उसे तुझसे कोई मतलब ही नहीं है । अब चल हमे भी तेरी इस जवानी की रसमलाई का स्वाद चखने दे ।" बोलते हुए उसने अद्विका के सीने से पल्लू को खींचकर साइड में फेंक दिया ।
अद्विका की जोर की चीख निकल गई ।वो अपनी पूरी ताकत लगाकर उठी ओर भागते हुए किचन में चली गई ।
वही उसे भागता देखकर सारे गुंडे पहले हैरान रह गए लेकिन फिर वो जोर से हसने लगे और हंसते हुए किचन की तरफ जाने लगे ।
उन्हें अपनी तरफ आता देखकर अद्विका के फेस पर गहरी स्माइल आ गई । उसे अचानक से मुस्कुराता देखकर उन सब गुंडों के माथे पर बल पड़ गया ।
तभी अद्विका ने गैस सिलेंडर की नलकी को खोला और अगले ही पल पूरे किचन में गैस ही गैस फेल गई ।
जिसे देखकर वो सब गुंडे डर गए क्योंकि अब अद्विका के हाथ में माचिस थी । अद्विका को मरना मंजूर था लेकिन अपने इज्जत के साथ सौदा करना नहीं ।
तभी उन गुंडों का हेड चिल्लाते हुए बोला ," ये लड़की पागल हो गई है ।भागो यहां से वरना ये अपने साथ हमे भी जला देगी ।" बोलते हुए वो सब बाहर की तरफ भागने लगे ।
अभी वो सब दो कदम ही चले थे तभी एक तेज धमाका हुआ और आग की लपटे चारो तरफ फैल गई ।
किचन में रखा सिलेंडर फट चुका था ओर अद्विका आग की लपटों में घिरती हुई जल रही थी ।उसकी दर्द भरी चीखे हवेली के हर कोनों में गूंजने लगी।वही वो सब आदमी भी आग की लपटों में जल रहे थे ।कुछ देर बाद सारी हवेली में आग लग गई ओर अंधेरी रात में उस आग की पीली रोशनी पूरे जंगल में फैल गई ।
क्या यही अद्विका का अंत
है या फिर होगा कुछ ओर जानने के लिए पढ़ते रहिए " Reborn to born again"
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