खुद को देखते हुए इशानी की आंखों में फिर से आंसू छलक आए उसने अपने पेट पर अपना एक हाथ रखकर रुंधे गले से कहा ," बेबी प्लीज मुझे माफ कर देना। मैं आपको इन सबसे नहीं बचा पा रही हु लेकिन मैं आपको इन जालिमों के पास नहीं रहने दूंगी फिर चाहे मुझे खुद को खत्म ही क्यों नहीं करना पड़े ? अगर आप इन सबके पास रहे तो ये सब आपको भी नहीं जीने देंगे इससे अच्छा आप इस दुनिया में आओ ही नहीं ।" ये कहते हुए उसके गालों पर आंसुओ की बूंदे लुढ़क आई ।
कुछ देर बाद
इशानी अपने कमरे में बेड पर बैठी कुछ सोच रही थी ।तभी उसके रूम के दरवाजे पर किसी ने नॉक करते हुए कहा ," इशानी तुम्हे बाहर त्रिशा मैडम बुला रही है ।"
ये सुनते ही इशानी ने तुंरत दरवाजे की तरफ देखा जहा एक फीमेल सर्वेंट बोरियत से उसे ही देख रही थी।
इशानी ने सर्वेंट की तरफ देखकर हिचकिचाते हुए कहा ," क्या आप आज मुझे यही खाना लाकर दे सकती है ? मेरा बाहर जाने का मन नहीं है ।"
ये सुनते ही उस फीमेल सर्वेंट ने हल्के गुस्से से कहा," मैं तुम्हारी नौकर नहीं हु जो तुम्हारा ऑर्डर फॉलो करूंगी। त्रिशा मैडम ने जो कहा मैने कह दिया अब बाहर आओ तो तुम्हारी मर्जी ओर अगर नहीं आओ तो इसी रूम में पड़ी रहो ।" ये कहकर उसने बुरा सा मुंह बनाया और फिर अपनी कमर को मटकाते हुए वहां से चली गई ।
वही इशानी की आंखों में एक बार फिर पानी भर आया । उसने एक नजर खुद के बदन की तरफ देखा जहा गहरी चोटों के निशान नजर आ रहे थे ।
इशानी ने एक गहरी सांस भरी ओर खड़ी होकर अपनी साड़ी के पल्लू को अपने चारो तरफ लपेट लिया। उसने सिंपल सी लाल कलर की साड़ी पहनी थी जिसका ब्लाउज भी एकदम सिंपल था। चेहरे पर कोई मेकअप नहीं ओर बालों को बीच से मांग निकालकर पीछे ढीली सी चोटी की हुई थी ।हाथो में दो दो चूड़ियां पहनी थी ।
इशानी धीमे कदमों से चलते हुए रूम से निकलकर लिविंग हॉल में आ गई लेकिन तभी उसकी नजरे रिया ओर उसके सामने खड़े एक शख्स पर पड़ी ।
वो शख्स वॉल से पीठ टिकाए खड़ा था और वही रिया उसके चेहरे पर झुकी थी। इस वक्त रिया के चेहरे पर मदहोशी साफ नजर आ रही थी और उसके होंठ सामने खड़े शख्स के होंठो के बेहद नजदीक थे ।
सामने ये नजारा देखकर इशानी की आंखों में पानी भर आया ओर अगले ही पल उसने तुंरत अपनी नजरे फेर ली।
वही सामने खड़ा शख्स जो त्रियांश राठौर था उसे किसी ओर के साथ देखना इशानी के बर्दास्त के बाहर था । ऐसा नहीं था कि इशानी को त्रियांश से प्यार था लेकिन एक हक था कि वो उसका पति है और उसके होने वाले बच्चे का बाप भी ओर अपने पति को किसी ओर के साथ देखना शायद कोई भी लड़की बर्दास्त नहीं कर सकती थी और इशानी तो एक इमोशनल सिंपल सी लड़की थी जिसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी शादी कभी ऐसे इंसान से होगी जो उसकी जालिम दुनिया को ओर ज्यादा जालिम बना देगा ।
वही रिया के होंठ त्रियांश के होंठो को छूने ही वाले थे लेकिन तभी त्रियांश ने अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया ओर उसे हल्का सा खुद से दूर धक्का देते हुए कहा ," रिया अभी मेरा मूड नहीं है । बाद में करेंगे ।" ये कहकर वो तुंरत डाइनिंग एरिया की तरफ चला गया ।
वही त्रियांश के जाते ही रिया ने कस के अपने हाथो की मुठिया बंद कर ली ओर गुस्से से त्रियांश जिस तरफ गया था उस तरफ देखते हुए कहा ," कब तक दूर भागोगे मुझसे त्रियांश ! कभी ना कभी तो तुम्हे मेरा होना ही होगा ।" ये कहते हुए अचानक ही उसकी नजरे इशानी पर पड़ी जो उसे ही देख रही थी ।
इशानी को देखकर रिया का चेहरा एकदम से काला पड़ गया। उसने दांत पीसते हुए कहा ," ये मनहूस जब से इस घर में आई है तब से मेरे ओर त्रियांश के बीच एक किस तक नहीं हुई । कही हम दोनो के दूरियों की वजह यही तो नहीं है ।"
इतना बोलकर अचानक ही वो चुप हो गई ।उसकी नजरे ऊपर से नीचे तक इशानी को स्कैन कर रही थी ।
उसने अजीब तरह से मुस्कुरा कर खुद से कहा ," नो नो त्रियांश राठौर का टेस्ट इतना खराब नहीं हो सकता है जो इस जैसी ग्वार उर्फ बहनजी टाइप लड़की को अपनी लाइफ में जगह देगा । कहा त्रियांश ओर कहा ये ?"
ये कहते हुए उसकी नजरे इशानी का मजाक उड़ा रही थी । वही इशानी जिसकी नजरे रिया पर टिकी हुई थी उसे खुद की तरफ अजीब नजरो से देखता देख इशानी समझ गई थी कि वो उसकी सादगी का मजाक बना रही है ।
इशानी ने बिना कहे अपना सर झुका लिया । वही रिया की स्माइल ओर गहरी हो गई। वो अपनी हाई हिल्स की टक टक करते है बड़ी अदाओं से चलकर डाइनिंग एरिया की तफ चली गई ।
कुछ देर बाद
पूरी राठौर फैमिली डाइनिंग एरिया में चेयर पर बैठी बडिनर कर रही थी । त्रियांश हेड चेयर पर बिना किसी एक्सप्रेशन के बैठा था और उसके समाने वाली हेड चेयर पर इस घर के सबसे बड़े ओर त्रियांश के दादाजी मिस्टर राजेश राठौर बैठे थे ।
उनके बगल में उनके इकलौते बेटे राजवीर राठौर और उनके पास में उनकी धर्मपत्नी त्रिशा राठौर बैठी थी । वही त्रियांश के बगल में रिया और उसके पास में अद्विका बैठी थी ।
अद्विका के बगल में उसका बेटा आदित्य बैठा हुआ था । वही इशानी उन सबसे थोड़ा दूर एक कोने में फर्श पर बैठी हुई थी ।उसके सामने एक प्लेट रखी हुई थी ओर उस प्लेट में हल्दी डिनर था ।
इशानी डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाना नहीं खाती थी उसकी जगह यही नीचे फर्श पर थी ।
इशानी चुपचाप अपनी प्लेट को देख रही थी जिस में पालक, टमाटर और मशरूम स्लाइस के साथ कुछ कटी हुई सब्जियों के सलाद थे । इशानी पिछले दो महीनों से यही सब खा रही थी लेकिन आज उसका ये सब खाने का बिल्कुल भी मन नहीं था । उसे मीठे की क्रेविंग हो रही थी ।
वो प्रेगनेट थी और प्रेगनेंसी में क्रेविंग होना नॉर्मल बात थी । इशानी ने सर उठाकर सबकी तरफ देखा लेकिन किसी का भी ध्यान उस पर नहीं था । सब अपना खाना खाने में लगे हुए थे ।
वही आदित्य जो खाना खाते हुए तिरछी नजरो से इशानी को देख रहा था ।ऐसा भी कह सकते है कि वो घूर रहा था । उसकी नजरे इशानी के खूबसूरत चेहरे से होते हुए उसकी गर्दन ओर फिर उसके सीने से होते हुए उसकी पतली कमर पर आकर ठहर गई जो साड़ी के पल्लू से झांकते हुए दिखाई दे रही थी ।
उसकी नजरो में हवस साफ नजर आ रही थी । जो इशानी के लिए बिल्कुल भी सेफ नहीं थी ।
इशानी सबकी तरफ देख रही थी , उसका ध्यान आदित्य पर नहीं था । इस वक्त उसे मीठा चाहिए था ।
वो धीरे से खड़ी हुई और सबकी नजरों से बचते हुए वो किचन की तरफ जाने लगी लेकिन तभी उसके कानो में किसी की तेज आवाज पड़ी ," कहा जा रही हो तुम ओर वो भी बिना डिनर किए ?" इस आवाज को सुनते ही इशानी के कदम एकदम से रुक गए । उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया ।
इशानी ने हल्का सा सर घुमा डाइनिंग टेबल की तरफ देखा जहा त्रियांश अपना सर टेडा की अपनी हेजल आंखो से उसे ही देख रहा था ।
वही त्रियांश की आवाज सुनकर बाकी सब भी इशानी को देखने लगे थे ।
सबको अपनी तरफ देखता देख इशानी एकदम से घबरा गई ।उसने अपनी साड़ी के पल्लू को कस के मुठियो में भरते हुए हिचकिचा कर कहा ," वो …. वो मुझे आज …… ये सब नहीं खाना है। में …… मेरा मीठा खाने का मन कर रहा है तो मैं बस किचन से गुड़ लाने …."
उसने इतना ही कहा था तभी त्रियांश ने चिल्लाकर कहा ," दिमाग खराब है तुम्हारा ! तुम मेरे बच्चे को ये नॉनसेंस चीज खिलाना चाहती हो ।"
ये सुनते ही इशानी ने तुरंत अपना सर ना में हिलाते हुए कहा ," नहीं गुड कोई बेकार चीज नहीं है । गुड़ हेल्दी …." उसने इतना ही कहा था तभी रिया ने तेज आवाज में कहा ," इशानी अब क्या तुम बताओगी त्रियांश को की उसके बच्चे के लिए क्या सही है ओर क्या गलत ? उसे तुमसे ज्यादा पता है समझी तुम ।"
उनकी बाते सुनकर इशानी की आंखे आंसुओ से डगमगा गई ।उसने बिना कुछ अपना सर झुका लिया ।
वही त्रिशा राठौर जो चुपचाप ये सब देख रही थी ।उसमे रिया की तरफ देखकर शांत लहजे में कहा ," रिया तुम इशानी से ये किस तरह बात कर रही हो ? वो त्रियांश की बीवी ओर इस घर की बहु है इसलिए तुम अभी उससे ऐसे बात नहीं कर सकती हो ?"
उन्होंने इतना ही कहा था तभी त्रियांश ने उनकी तरफ देखकर गुस्से से कहा ," ओर आपको भी कोई हक नहीं है मिसेज राठौर मेरी फ़ियोंसी से ऐसे बात करने की । ये हमारे बीच का मेटर है इसमें आप चुप रहे यही बेहतर होगा ।" ये कहते हुए वो गुस्से से खड़ा हुआ और अपने हाथ टिश्यू से साफ करके सीधा किचन की तरफ चला गया ।
त्रियांश की बात सुनकर रिया के फेस पर तिरछी स्माइल आ गई तो वही त्रिशा की आंखे आंसुओ से डगमगा गई । त्रियांश पिछले पांच सालों से त्रिशा से नफरत करने लगा था ।वो ढंग से उनसे बात नहीं करता था और नहीं उन्हें मॉम कहकर बुलाता था । अब इसके पीछे क्या वजह थी ये तो सिर्फ त्रिशा ओर त्रियांश को ही पता थी ।
कुछ देर बाद त्रियांश वापस आया । उसके हाथ में एक ट्रे थी । वो इशानी के पास आया ओर उसकी तरफ अपने हाथ में पकड़ी ट्रे को बढ़ाते हुए कहा ," ये लो ! ये स्वीट्स है । शायद इन्हें खाकर तुम्हारी उस गुड़ के खाने की क्रेविंग शांत हो जाए ।"
ये सुनते ही इशानी ने तुंरत त्रियांश की तरफ देखा जो उसकी तरफ नहीं देखकर दूसरी तरफ देख रहा था और फिर इशानी ने ट्रे की तरफ देखा जिसमे कुछ स्वीट्स रखी हुई थी ।
अचानक ही इशानी के फेस पर हल्की सी स्माइल आ गई ।उसने तुंरत त्रियांश के हाथ से ट्रे ले ली ओर वही खड़ी होकर जल्दी जल्दी स्वीट्स खाने लगी ।
वही उसकी इस हरकत पर त्रियांश उसे नफरत भरी नजरो से देख रहा था। उसने गुस्से से कहा ," गवार कही कि !" ये कहकर उसने अपने हाथ टिश्यू से साफ किए और वापस डाइनिंग एरिया में आ गया ।
इशानी के कल रात से कुछ नहीं खाया था और अभी उसे बहुत जोर की क्रेविंग हो रही थी ।इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया कि उसे देखकर कोई क्या सोचेगा और वैसे भी वो चाहे जो कर ले वो राठौर फैमिली की सोच नहीं बदल सकती थी ।
कुछ देर बाद सबका डिनर हो चुका था ओर सब अपने कमरे में जा चुके थे । इशानी वापस अपने उसी अंधेरे कमरे में आ गई थी और रिया अपने घर चली गई थी ।
रात 9 बजे
इशानी चुपचाप बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी ।उसकी पूरी पीठ बेल्ट के जख्मों से भरी हुई थी इसलिए उससे पीठ के बल नहीं सोया जा रहा था ।
तभी धीरे से उसके कमरे का डोर ओपन हुआ और एक लंबी चौड़ी परछाई रूम के अंदर एंटर हुई ।
इशानी के दिमाग में कुछ पुरानी यादें चल रही थी इसलिए उसने ध्यान नहीं दिया कि कोई उसके कमरे में आया है ।
लेकिन तभी अचानक उसे अपनी पीठ पर किसी की ठंडी उंगलियां चलती हुई महसूस हुई जिसे महसूस करके इशानी एकदम से कांप गई ओर वो तुरंत उठकर बैठ गई तभी उसकी नजरे अपने बेड के पास खड़े आदित्य पर पड़ी जो हवसी नजरो से उसे देखते हुए गंदे तरीके से मुस्कुरा रहा था।
क्या करने आया है आदित्य इशानी के साथ ? क्या इशानी की जिंदगी ऐसे ही बीतने वाली है या होगा कुछ ओर ? जानने के लिए पढ़ते रहिए
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